Pali News : राजस्थान के पाली में दो आईएएस और एक आरएएस अधिकारियों के नाम पर फर्जी हस्ताक्षर करने का मामला सामने आया है। इसके बाद रीडर मूल सिंह भाटी के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। जांच में सामने आया की रीडर पिछले 4 सालों से फर्जी हस्ताक्षर कर रहा था। तत्कालीन पाली कलेक्टर नामित मेहता ने इस खेल का पर्दाफाश किया है।
पाली : राजस्थान के पाली में जिला कलेक्टर के रीडर की एक हैरान कर देने वाली करतूत सामने आई है। इसमें एक रीडर ने दो आईएएस और एक आरएएस अधिकारियों के नाम पर फर्जी हस्ताक्षर कर कई आदेश जारी कर दिए। आरोपी रीडर फर्जी हस्ताक्षर कर आदेश निकालने का खेल 4 सालों से खेल रहा था। जब आईएएस अधिकारियों ने अपना रिकार्ड खंगाला तो उनके होश उड़ गए। इस मामले में दो आईएएस अधिकारियों ने रीडर मूल सिंह भाटी के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। इस मामले में एक उपखंड अधिकारी के भी फर्जी हस्ताक्षर करने का मामला भी सामने आया है।
तत्कालीन कलेक्टर ने हस्ताक्षर देखें तो उड़ गए होश
रीडर मूल सिंह के फर्जी हस्ताक्षर का खेल 2023 के तत्कालीन पाली कलेक्टर नामित मेहता ने पकड़ा। उनके सामने नामांतकरण संशोधन आदेश की पालना का एक मामला सामने आया। मेहता ने आदेश पर जब उनके नाम से हस्ताक्षर देखें तो उन्हें शंका हुई। उन्होंने मूल फाइल देखी तो पता चला हस्ताक्षर फर्जी थे। मामले में यह करतूत सहायक प्रशासनिक अधिकारी मूलसिंह भाटी की निकली। मूल सिंह भाटी इससे पहले उपखंड अधिकारी का रीडर था। इसके बाद उपखंड अधिकारी रहे उत्सव कौशल व देशलदान ने भी अपने कार्यकाल के दौरान के रिकॉर्ड खंगाले।
आईएएस उत्सव कौशल ने भी कराया मामला दर्ज
इस मामले को लेकर आईएएस उत्सव कौशल ने भी रिपोर्ट दर्ज कराई है। उत्सव कौशल अभी ब्यावर कलेक्टर हैं। वह 9 जुलाई 2020 से 13 अप्रेल 2021 तक पाली उपखंड अधिकारी रहे। इस दौरान उनका रीडर मूल सिंह भाटी ही था। मामले की जानकारी पर उत्सव कौशल ने अपने उपखंड पाली कार्यकाल के दौरान सभी आदेश जांचे तो 17 मामलों में फर्जी आदेश जारी करने के मामले सामने आए हैं। फाइलों मेें ऑर्डर शीट व आदेश में रीडर मूलसिंह ने उनके फर्जी हस्ताक्षर किए थे।
तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी के भी फर्जी हस्ताक्षर किए
रीडर मूल सिंह भाटी ने तत्कालीन उपखंड अधिकारी देशलदान के भी फर्जी हस्ताक्षर किए। देशलदान उपखंड अधिकारी पाली के पद पर 13 अप्रेल 2021 से 5 जनवरी 2022 तक रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान के दस्तावेज जांचे, तो सामने आया कि 32 मामलों की फाइल पर रीडर मूल सिंह भाटी ने उनके फर्जी हस्ताक्षर किए। रीडर मूल सिंह ने वर्ष 2020 की फाइलों पर भी उनके हस्ताक्षर कर दिए थे। ये सभी मामले भरण पोषण की अपील से जुड़े हुए थे।