टाइम ट्रैवल को लेकर क्या कहता है विज्ञान, एक प्रोफेसर ने किया स्वर्ण युग का दावा

Saroj
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टाइम ट्रैवेल को लेकर वैज्ञानिकों के बीच मतभेद हमेशा रहा है. कुछ वैज्ञानिक इसे संभव मानते हैं, तो कुछ इसे पूरी तरह से नकारते हैं. लेकिन स्विट्जरलैंड के प्रोफेसर ने जो दावा किया वो हैरान करने वाला था.

टाइम ट्रैवल एक ऐसी थ्योरी है जिस पर विश्वास कर पाना लगभग नामुमकिन है. हालांकि, इसके बाद भी दुनियाभर से ऐसी कई कहानियां आती हैं, जिसमें टाइम ट्रैवेल का जिक्र होता है. सबसे बड़ी बात कि जो लोग टाइम ट्रैवेल की बात करते हैं, वो कोई अनपढ़ या नासमझ लोग नहीं हैं. बल्कि ये लोग समाज के पढ़े लिखे वर्ग से आते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही टाइम ट्रैवेल की कहानी बताएंगे, जिसमें एक प्रोफेसर ने दावा किया है कि आने वाला समय स्वर्ण युग होगा.

किसने किया दावा

स्विट्जरलैंड के एक प्रोफेसर थे पॉल एमेडियस. साल 1921 में वो अचानक से बेहद बीमार हो गए और कोमा में चले गए. पॉल लगभग एक साल कोमा में रहें, लेकिन जब उन्हें होश आया तो उन्होंने ऐसी-ऐसी बातें कहीं कि लोगों के होश उड़ गए.

दरअसल, डेली स्टार नाम की एक वेबसाइट ने इस पर पूरी रिपोर्ट की है. इस रिपोर्ट के अनुसार, जब प्रोफेसर पॉल को होश आया तो उन्होंने दावा किया कि वो टाइम ट्रैवेल के जरिए साल 3906 में पहुंच गए थे. उन्होंने वहां जो कुछ भी देखा, उसे याद कर के उन्होंने एक डायरी में लिख दिया और फिर वो डायरी उन्होंने अपने एक छात्र जॉर्जियोस पाफिट्ज को दे दी.

टाइम ट्रैवेल में क्या दिखा

उन्होंने टाइम ट्रैवेल के दौरान देखा कि दुनिया में इंसानों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और आने वाले 300 साल में ये जनसंख्या हद से ज्यादा बढ़ गई है. इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि इंसान 2200 साल बाद मंगल ग्रह पर रह सकेंगे. इसके अलावा प्रोफेसर ने लिखा कि इंसान साल 3382 तक एक नई समझ को विकसित कर लेगा, जिसे पता होगा कि आखिर जीवन के मायने क्या हैं फिर पूरी दुनिया में साल 3400 तक स्वर्ण युग आ जाएगा.

विज्ञान क्या कहता है टाइम ट्रैवेल पर

टाइम ट्रैवेल को लेकर वैज्ञानिकों के बीच मतभेद हमेशा रहा है. कुछ वैज्ञानिक इसे संभव मानते हैं, तो कुछ इसे पूरी तरह से नकारते हैं. साल 1915 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने ‘सापेक्षता के सिद्धांत’ के द्वारा एक नए दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया था. उन्होंने समय और गति के बीच संबंध को स्पष्ट किया था. उन्होंने यह बताया कि ‘समय’ एक गति से नहीं चलता, बल्कि पूरी तरह से ‘गति’ यानी ‘स्पीड’ पर आश्रित होता है. इसे ऐसे समझिए कि अगर आपकी गति ज्यादा है तो आप तय दूरी को कम समय में पूरा कर सकते हैं, जबकि धीमी गति में आपको ज्यादा समय चाहिए होगा. यानी अगर आप अपनी गति ज्यादा तेज कर लें तो आप समय से आगे निकल सकते हैं, जिसे हम भविष्य भी कह सकते हैं.

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