धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंदिर में लगे घंटे को लेकर यह मान्यता है कि जब सृष्टि का आरंभ हुआ था तब जो स्वर गूंजा थी वह घंटी की ध्वनि थी।
लौटते वक्त घंटी बजाना
अक्सर आपने देखा होगा कि मंदिर जाते वक्त घंटी जरूर बजाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंदिर से लौटते समय घंटी बजानी चाहिए या नहीं?
क्यों बजाते हैं घंटी
जब हम मंदिर में प्रवेश करते हुए घंटी बजाते हैं तो ऐसी मान्यता है कि हमारे शरीर की पूरी नकारात्मक ऊर्जा घंटे की ध्वनि से नष्ट हो जाती है।
भगवान का प्रिय
इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि घंटे की ध्वनि भगवान को अति प्रिय लगती है।
मांगी जाती है अनुमति
घंटी बजाकर भक्त भगवान से मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति मांगते हैं और देवी-देवताओं का ध्यान अपनी तरफ केंद्रित करते हैं।
नहीं बजानी चाहिए घंटी
लेकिन पुराणों में बताया गया है कि मंदिर से लौटते समय घंटी नहीं बजानी चाहिए।
नष्ट हो जाती है ऊर्जा
मान्यता है कि अगर लौटेते वक्त घंटी बजाते हैं तो सब सकारात्मक ऊर्जा घंटे के स्वर से भ्रमित होकर नष्ट हो जाती है।
वजह
इसलिए सकारात्मक ऊर्जा को बचाए रखने के लिए मंदिर से लौटते वक्त घंटी नहीं बजानी चाहिए।
नोट
यह जानकारी सिर्फ मान्यताओं, धार्मिक ग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी जानकारी को मानने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।