राजस्थान: 4 जून तक ले लीजिए फ्री बिजली का मजा, उसके बाद गर्मी में ठंडी हवा खाने को खाली करनी पड़ेगी जेब

Saroj
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राजस्थान में मुफ्त बिजली योजना के कारण बिजली कंपनियों को करोड़ों रुपए का घाटा हो रहा है। बिजली कंपनियां जनता से सर चार्ज और फ्यूल चार्ज के जरिए राशि वसूल रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही बिजली कंपनियों में घाटे को खत्म करने के लिए सरकार इस योजना को जल्द बंद कर सकती है।

जयपुर : राजस्थान में राजनीतिक दलों की सियासत के चलते भले ही आमजन को मुफ्त बिजली मिल रही हैं, लेकिन इसके कारण बिजली कंपनियों को करोड़ों रुपए का फटका जरूर लग रहा हैं। यह सब गहलोत सरकार के दौरान आमजन और किसानों को दी गई मुफ्त बिजली योजना के कारण हुआ हैं। अब यह मुफ्त योजना भजनलाल सरकार और बिजली कंपनियों के गले की फांस बनती जा रही हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर इस करोड़ के घाटे को राज्य सरकार और बिजली कंपनियां कब तक सहन कर पाएगी? क्या लोकसभा चुनाव के बाद आम लोगों से यह राहत वापस ली जाएगी। ऐसे में चर्चा हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद आम लोगों को बिजली के बिल का तगड़ा झटका लग सकता हैं। इस रिपोर्ट के जरिए पूरी कहानी समझने की कोशिश करते हैं।

गहलोत सरकार ने शुरू किया बिजली कंपनियों में घाटे का खेल


बिजली कंपनियों में घाटे का खेल गहलोत सरकार के दौरान शुरू हुआ। इस दौरान गहलोत सरकार ने खुद को रिपीट करवाने के उद्देश्य से लोगों को लुभाने के लिए बिजली की मुफ्त योजना शुरू की। इसके तहत घरेलू कनेक्शन पर लोगों को 100 यूनिट और कृषि कनेक्शन पर 2000 यूनिट तक बिजली निशुल्क देने की योजना शुरू की। हालांकि, गहलोत सरकार की इस योजना से आम लोगों को फायदा मिल रहा हैं, लेकिन पहले से घाटे में चल रही सरकारी बिजली कंपनियों का घाटा 1 लाख 7 हजार 655 करोड़ रुपए के ऊपर पहुंच गया हैं। इस आंकड़े का खुलासा खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल की ओर से सदन में पूछे गए सवाल के बाद हुआ। इसके जवाब में पता चला कि वर्ष 2022-23 में बिजली का घाटा 8824.43 करोड रुपए का था।

घाटे के इस खेल को इस तरह से समझिए-

जयपुर विद्युत वितरण निगम – 29,318.33 करोड़ रुपए
अजमेर विद्युत वितरण निगम – 28,263.39 करोड़ रुपए
जोधपुर विद्युत वितरण निगम – 34,488.07 करोड़ रुपए
राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम – 1448.90 करोड़ रुपए
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम – 14,137.11 करोड़ रुपए
कुल संचित घाटा – 1,07,655.8 करोड़ रुपए

लाखों घरेलू और कृषि उपभोक्ता का बिल आया शून्य

गहलोत सरकार के दौरान शुरू की गई योजना के तहत घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली दी गई। इसके कारण वर्ष 2023 तक 69.88 लाख से अधिक घरेलू उपभोक्ताओं और 10.09 कृषि उपभोक्ताओं का बिजली का बिल शून्य आया। इसके अलावा प्रदेश के 1.20 करोड़ से अधिक घरेलू उपभोक्ताओं और 17.74 लाख से अधिक कृषि उपभोक्ताओं को बिजली के बिल में बड़ी राहत मिली हैं। हालांकि, इस योजना से जनता को भले ही फायदा हुआ हैं, लेकिन सरकारी बिजली कंपनियों को करोड़ों रुपए का नुकसान भी जरूर हुआ हैं।

इस तरह से कर रही हैं घाटे की भरपाई

मुफ्त बिजली योजना के कारण भले ही आमजन को बिल में राहत मिली हैं, लेकिन मुफ्त बिजली बिजली कंपनियों के लिए घाटे का सौदा बन गई हैं। अब इस घाटे को पाटने के लिए बिजली कंपनियां जनता से बिजली के बिल में सर चार्ज और फ्यूल चार्ज के जरिए राशि वसुल रही हैं। बिजली कंपनियों की ओर से जो अतिरिक्त चार्ज वसूला जाता है, वह उपभोक्ता के मूल बिल से भी अधिक होता हैं। ऐसे में बिजली कंपनियां अपने घाटे की भरपाई लोगों के बिल पर सर चार्ज और फ्यूल चार्ज लगाकर कर रही हैं।

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