Random Access Memory(RAM) : दोस्तों आज इस आर्टिकल मे हम जानेगे की आखिर कितनी रेम होनी चाइए हमारे फोन को सही से चलाने के लिए | रैंडम एक्सेस मेमोरी सिंपल भाषा में रेम अब हमारे फोन मे रेम 6gb,12gb,16gb और 24gb की भी पर एक सबसे बड़ा सवाल की आखिर कितनी रेम चाइए हमारे फोन मे तो आज हम इसमे आगे जानेगे की आखिर कितनी रेम की हमे जरूरत है या फिर मोबाईल कंपनी सिर्फ मार्केटिंग करने के लिए ही नंबर बड़ा कर बता ती है। और इन फेक्ट मार्केट मे एक और नहीं चीज आई है जिसे हम ‘Virtual Ram’ कहते है तो आइए जानते है पूरा फंडा RAM का ।
वैसे तो आप रेम के बारे मे जानते होंगे पर अभी जो मार्केट मे करंट स्थिति है वो एकदम बदल गई है और इसलिए बदली है की हर एक स्मार्टफोन कंपनी जब भी नया फोन लॉन्च करती है तो कही न कही रेम को लेकर बड़ी बड़ी बाते होती है । की इस फोन मे है 12 gb की रेम या 24 gb की रेम और कभी कभी रेम कम हो जैसे की 4 gb या 6 gb की रेम तो वो 4 gb की एक्स्ट्रा virtual ram अगर उस फोन मे है तो उसको जोड़ते हुए प्रमोट ऐसे करते है की इसमे है 8 gb रेम और ब्रैकिट मे लिखते है की 8gb(4+4) तो अभी आपको बता ता हु की पूरा फंडा किया है
Why we want RAM in our Mobile phones?
आपके फ़ोन में RAM का उपयोग अधिकतर ऐप्स चलाने के लिए उनके डेटा को संग्रहीत करने के स्थान के रूप में किया जाता है। सरल शब्दों में, इसका मतलब है कि अधिक रैम आपके फोन को धीमा किए बिना पृष्ठभूमि में अधिक ऐप्स चला सकती है। लेकिन अधिकांश चीज़ों की तरह, यह वास्तव में इतना आसान नहीं है। आपके फ़ोन में RAM Android के चालू होने से पहले ही उपयोग में है।
एक उदाहरण से बताओ तो बैसिक्ली किया होता ही की अगर आपने अपने फोन मे किसी सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया या फिर गेम को इंस्टॉल किया या कोई एप को इंस्टॉल किया हो अब जैसे की आपने ने अपने फोन मे Photos की एप को खोला तो आपको पता की फ़ोटोज़ कहा स्टोर हुई है उदाहरण के लिए मैन स्टॉरिज मे स्टोर हुई है लेकिन अगर आपने फ़ोटोज़ एप खोली है तो वो जो डाटा आप तुरंत देख रहे हो वो रीक्वेस्ट पहले रेम के पास गया फिर प्रोसेसर उसको प्रोसेस करता है
तो रेम ज्यादा होना किसी फोन को फास्ट या स्लो नहीं बनाता है ये आपको ऑप्शन देता है की आप कितनी ज्यादा ऐप्लकैशन या कितने सारे गेम को एक साथ रख सकते हो । तो उदाहरण के लिए हमारे पास अगर बड़ी टेबल है तो उसपे 4 या 5 चीजे रख सकते है जैसे की एक साइड मे कोई मूवी की एप और दूसरी साइड मे कोई गेम और तीसरी साइड मे काम करने के की ऐप्लकैशन तो आप इन तीनों मे से कोई भी एक कभी भी खोल सकते है । क्युकी आप के पास टेबल पे जगह है ऐसे ही फोन मे रेम भी काम करती है और जितनी जगह होती है उतनी ऐप्लकैशन को एक साथ प्रोसेस करती है
पर सवाल वही है की कितनी स्पेस तो ये अगर एक लिमिट से ज्यादा हो जाए तो किया इसका कोई मतलब बनता है । अगर Android की मे आपको बात करू तो 8gb की रेम ईनफ है पर मे आपको यहा ये नहीं कह रहा हु की आप 4 या 6 gb रेम का फोन इस्तेमाल करते हो तो आप को मजा नहीं आएगा पर अगर आप कम से कम 8 gb का फोन इस्तेमाल करे तो आप का अनुभव बहुत ही अच्छा होगा ।
अगर आप 12 gb की रेम वाले फोन को लेते है तो ये फ्यूचर के लिए बढ़िया पर आप अगर इससे ऊपर जाते है जैसे की 24 gb या 48 gb हो तो ये सिर्फ एक नंबर है और इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता ।
Virtual Ram
आप सभी ने मोबाइल फोन लॉन्चिंग के वक्त वर्चुअल रैम का वर्ड जरूर सुना होगा या वेबसाइट पर पढ़ा होगा कि फलाने फोन में इतनी GB वर्चुअल रैम मिलेगी या आप रैम को इतने GB तक बड़ा सकते हैं. विशेषकर बजट सेगमेंट के स्मार्टफोन्स में वर्चुअल रैम का कांसेप्ट ज्यादा देखने को मिलता है जिसमें फिजिकल रैम 3 या 4GB होती है. आज जानिए कि आखिर क्या है वर्चुअल रैम और क्या सच में ये आपके फोन को फास्ट बनाती है? अलग-अलग मोबाइल कंपनियां वर्चुअल रैम को अलग-अलग नाम से बुलाती हैं. जैसे सैमसंग के फोन में इसे रैम प्लस कहा जाता है, ओप्पो के फोन में रैम एक्सपेंशन आदि.
वर्चुअल रैम मोबाइल फोन्स का एक फीचर है जिसमें फोन के इंटरनल स्टोरेज के कुछ हिस्से को रैम के तौर पर रिज़र्व कर दिया जाता है. जैसे अगर आपके फोन की स्टोरेज 64GB है तो वर्चुअल रैम को लेने के बाद ये 62GB या जितना आप लेंगे उतनी कम हो जाएगी..
अब होगा ये कि जब आपकी फिजिकल रैम फुल हो जाएगी तो तब नए ऐप के लिए जगह वर्चुअल रैम बनाएगी. होगा ये कि जो ऐप पहले से ओपन हैं उनमें से एक ऐप फिजिकल रैम से शिफ्ट होकर वर्चुअल रैम में चले जाएगा और आप नए ऐप को तेजी से खोल पाएंगे. कौन-सा ऐप फिजिकल रैम से वर्चुअल में शिफ्ट होगा ये मोबाइल फोन खुद तय करता है.
क्या वर्चुअल रैम फोन को बनाती है फास्ट?
वर्चुअल रैम का कांसेप्ट बजट स्मार्टफोन के लिए कंपनी लाई हैं और इनमें ये कुछ हद तक कारगर है. हालांकि वर्चुअल रैम, फिजिकल रैम की तरह फ़ास्ट नहीं होती और गूगल भी ये बात अपने डेवलपर पेज पर कहता है कि वर्चुअल रैम फोन के इंटरनल स्टोरेज की लाइफ को कम कर सकती है क्योकि ये रीड एंड राइट के लिए नहीं बनी है. वर्चुअल रैम बजट फोन्स के लिए ठीक है लेकिन बेहतर यही है कि आप ज्यादा फिजिकल रैम वाला फोन लें.
मैं आशा करता हु की आपको ram का फंडा समझ मे आ गया होगा अगर आप ऐसे आर्टिकल रोज़ पढ़ना चाहते हो तो nexgenheadlines.com के नोटफकैशन को ऑन कर दीजिए।
हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप का धन्यवाद ।